जन्म प्रमाणपत्र क्या करता है और यह क्यों अनिवार्य है?
जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करना |
जन्म प्रमाणपत्र क्या करता है और यह क्यों अनिवार्य है?
जन्म प्रमाणपत्र बहुत ही महत्वपूर्ण पहचान का दस्तावेज हैं इससे किसी के लिए भी इसके होने से भारत सरकार द्वारा इसके नागरिकों को प्रदान की जाने वाली बहुत सारी सेवाओं का लाभ उठा सकता है। जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य हो जाता है चूंकि यह सभी प्रयोजनों के लिए किसी के जन्म की तारीख और तथ्य को प्रमाणित करता है जैसे मत देने का अधिकार प्राप्त करना, स्कूलों और सरकारी सेवाओं में दाखिला, कानूनी रूप से अनुमत आयु के विवाह करने का दावा करना, वंशगत और सम्पत्ति के अधिकारों का निपटान, संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए ब्यौरेवार प्रक्रिया जानने हेतु मेनु से राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र चुनें। और सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले पहचान के दस्तावेज जैसे ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट।
कानूनी ढांचा
भारत में कानून के अधीन यह अनिवाय है (जन्म और मृत्यु अधिनियम, 1969 के पंजीकरण के अनुसार) कि प्रत्येक जन्म/मृत प्रसव का पंजीकरण संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकार में होने के 21 दिन अंदर किया जाए। तदनुसार सरकार ने केन्द्र में यहा पंजीयक के पास पंजीकरण के लिए और राज्यों में मुख्य पंजीयक, और गांवों में जिला पंजीयकों द्वारा एवं नगर में परिसर में पंजीकरण के लिए सुपारिभाषित प्रणाली की व्यवस्था की है।
आप को क्या करने की आवश्यकता है?
जन्म प्रमाणप पत्र के लिए ओवदन करने के लिए आप पहले जन्म का पंजीकरण करें। पंजीयक द्वारा निर्धारित प्रपत्र भरकर जन्म होने के 21 दिन के भीतर संबंधित स्थानीय प्राधिकारी के पास जन्म का पंजीकरण किया जाना है। संबंधित अस्पताल के वास्तविक रिकार्ड का सत्यापन करने के बाद जन्म प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।यदि इसके होने के निर्धारित समय के भीतर जन्म पंजीकृत नहीं किया गया है तो राजस्व प्राधिकारी द्वारा दिए गए आदेश से पुलिस द्वारा विधिवत सत्यापन करने के बाद प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।
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मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करना |
मृत्यु प्रमाणपत्र क्या है इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
मृत्यु प्रमाण पत्र एक दस्तावेज होता है जिसे मृत व्यक्ति के निकटतम रिश्तेदारों को जारी किया जाता है, जिसमें मृत्यु का तारीक तथ्य और मृत्यु के कारण का विवरण होता है। मृत्यु का समय और तारीख का प्रमाण देने, व्यष्टि को सामाजिक, न्यायिक और सरकारी बाध्यताओं से मुक्त करने के लिए, मृत्यु के तथ्य को प्रमाणित करने के लिए सम्पत्ति संबंधी धरोहर के विवादों को निपटान करने के लिए और परिवार को बीमा एवं अन्य लाभ जमा करने के लिए प्राधिकृत करने के लिए मृत्यु का पंजीकरण करना अनिवार्य है।
कानूनी ढांचा
भारत में कानून के अधीन (जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के अनुसार) प्रत्येक मृत्यु का इसके होने के 21 दिनों के भीतर संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में पंजीकरण करना अनिवार्य है। तदनुसार सरकार ने केन्द्र में महापंजीयक, भारत के पास और राज्यों में मुख्य पंजीयकों के पास गांवों में जिला पंजीयकों द्वारा चलाने जाने वाले और नगरों के पंजीयक परिसर में मृत्यु का पंजीकरण करने के लिए सुपारिभाषित प्रणाली की व्यवस्था की है।
आपको मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है
मृत्यु की रिपोर्ट या इसका पंजीकरण परिवार के मुख्या के द्वारा किया जा सकता है यदि यह घर पर होती है; यदि यह अस्पताल में होती है तो चिकित्सा प्रभारी द्वारा, यदि यह जेल में होती है तो जेल प्रभारी के द्वारा यदि शव लावरिश पड़ा हो तो ग्राम के मुख्या या स्थानीय स्थान प्रभारी द्वारा किया जाता है।मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने के लिए आपको पहले मृत्यु का पंजीकरण करना है। मृत्यु का पंजीकरण संबंधित प्राधिकारी के पास इसके होने के 21 दिनों के भीतर पंजीयक द्वारा निर्धारित प्रपत्र भर करके किया जाना है। तब उचित सत्यापन के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।यदि मृत्यु होने के 21 दिन के भीतर इसका पंजीकरण नहीं किया जाता है तो पंजीयक/क्षेत्र मजिस्ट्रेट से निर्धारित शुल्क के साथ यदि विलम्ब पंजीकरण है तो अनुमति अपेक्षित है।जिस आवेदन प्रपत्र में आपको आवेदन करने की आवश्यकता है वह साधारणत: क्षेत्र के स्थानीय निकाय प्राधिकारिणों या पंजीयक के पास उपलब्ध होता है जो मृत्यु के रजिस्टर का रखरखाव करता है। आपको मृत व्यक्ति के जन्म का प्रमाण एक वचनपत्र जिसमें मृत्यु का समय और तारीख विनिर्दिष्ट हो, राशन कार्ड की एक प्रति और न्यायालयीन स्टैम्प के रूप में अपेक्षित शुल्क भी जमा करने की आवश्यकता हो सकती है।
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पिछड़ी जाति के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त करना |
जाति प्रमाण पत्र करता है और इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
जाति प्रमाण पत्र किसी के जाति विशेष के होने का प्रमाण है विशेष कर ऐसे मामले में जब कोई पिछड़ी जाति के लिए जाति का हो जैसा कि भारतीय संविधान में विनिर्दिष्ट है। सरकार ने अनुभव किया कि बाकी नागरिकों की तरह ही समान गति से उन्नति करने के लिए पिछड़ी जाति को विशेष प्रोत्साहन और अवसरों की आवश्यकता है। इसके परिणाम स्वरूप, रक्षात्मक भेदभाव की भारतीय प्रणाली के एक भाग के रूप में इस श्रेणी के नागरिकों को कुछ लाभ दिया जाता है, जैसा कि विधायिका और सरकारी सेवाओं में सीटों का आरक्षण, स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला के लिए कुछ या पूरे शुल्क की छूट देना, शैक्षिक संस्थाओं में कोटा, कुछ नौकरियों में आवेदन करने के लिए ऊपरी आयु सीमा की छूट आदि। इन लाभों को प्राप्त करने में समर्थ होने के लिए पिछड़ी जाति के व्यक्ति के पास वैध जाति प्रमाण पत्र होना जरूरी है।
कानूनी ढांचा
भारतीय संविधान के अधिनियम १९९४ की अनुसूची के अनुसरन में पिछड़ी जाति की सांविधिक सूची अधिसूचित की गई। इन सूचियों को समय समय पर परिवर्तित। संशोधन/सम्पूरक किया गया। राज्यों के पुनसंगठन पर पिछड़ी जाति सूची (परिवर्तन) अधिनियम १९९४ (यथा संशोधित) की अनुसूची २ से प्रवृत्त हुआ। इसलिए पिछड़ी जाति की सूची के संबंध में कुछ अन्य आदेश व्यष्टि राज्यों में प्रवृत्त हुए।
जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आपको क्या करने की आवश्यकता है?
आवेदन प्रपत्र ऑनलाइन या शहर/नगर/गांव में स्थानीय संबंधित कार्यालय में उपलब्ध होता है, जो सामान्यता एसडीएम का कार्यालय (सब डिविज़नल मजिस्ट्रेट) या तहसील या राजस्व विभाग होता है। यदि आपके परिवार के किसी भी सदस्य को पहले जाति प्रमाणपत्र जारी करने के पहले स्थानीय पूछताछ की जाती है। न्यूनतम निर्दिष्ट अवधि तक आपके अपने राज्य में निवास का प्रमाणप एक वचन पत्र जिसमें यह उल्लेख हो कि आप पिछड़ी जाति के हैं और आवेदन के समय विशिष्ठ अदालती स्टैम्प शुल्क अपेक्षित होते हैं।
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अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त करना |
कानून द्वारा यथा पारिभाषित अनुसूचित जनजाति
अनुसूचित जनजाति भारत के विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में पायी जाती है। स्वतंत्रता के पहले की अवधि में संविधान के अधीन सभी जनजातियों को ''अनुसूचित जनजाति'' के रूप में समूहबद्ध किया गया था। अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट करने के लिए अपनाए गए मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं:
राज्य विशेष/संघ राज्य क्षेत्र विशेष संबंधी अनुसूचित जनजाति का विनिर्देशन संबंधित राज्य सरकार के साथ किया गया। इन आदेशों को बात में परिवर्तित किया जा सकता है यह संसद के अधिनियम द्वारा किया जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार संबंधित राज्य सरकार के साथ परामर्श करने के पश्चात राष्ट्रपति में अब तक 9 आदेश लागू किए हैं जिनमें संबंधित राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों के संबंध में अनुसूचित जाति को विनिर्दिष्ट किया गया है।
जनजाति प्रमाणपत्र क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
भारतीय संविधान में उल्लिखित विनिर्देशन के अनुसार जनजाति प्रमाण पत्र किसी के अनुसूचित जनजाति होने का प्रमाण है। सरकार ने अनुभव किया कि बाकी नागरिकों की तरह समान गति से उन्नति करने के लिए अनुसूचित जनजातियों को विशेष प्रोत्साहन और अवसरों की आवश्यकता है। इसके परिणाम स्वरूप, रक्षात्मक भेदभाव की भारतीय प्रणाली के भाग के रूप में इन श्रेणी के नागरिकों के विशेष लाभ की गारंटी दी गई है, जैसा कि विधायिका में और सरकारी सेवा में सीटों का आरक्षण स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला के लिए कुछ अंश पूरे शुल्क की छूट, शैक्षिक संस्थाओं में कोटा, कुछ नौकरियों आदि के लिए आवेदन करने के लिय ऊपरी आयु सीमा में छूट देना। इन लाभों को लेने में समर्थ होने के लिए अनुसूचित जनजाति के नागरिक के पास वैध जनजाति प्रमाणपत्र का होना जरूरी है।
जनजाति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कैसे करें
राष्ट्रपति के अधिसूचित आदेशों में सूचीबद्ध जनजाति के लोग जनजाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। कुछ राज्यों में जनजातीय विकास विभाग कुछ ऑनलाइन सुविधाएं मुहैया कराते हैं जैसा कि संबंधित आवेदन प्रपत्र को डाउनलोड करना, जनजातीय कल्याण योजना का ब्यौरा आदि अपने वेबसाइट कराते हैं।
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विकलांग प्रमाण पत्र |
विकलांग प्रमाण पत्र स्वास्थ्य निगम द्वारा उन लोगों को जारी किया जाता है, जो कि जन्म से या फिर अपने जीवनकाल में किसी कारणवश अपाहिज होते है, और जो कि विकलांगता के प्रकार एवं प्रतिशत पर निर्भर करता है। विकलांग प्रमाण पत्र शैक्षिक संस्थानों में, रोजगार तथा अन्य सरकारी कल्याण योजनाओं के लिये जारी किया जाता है।
योग्यता की शर्ते
कोई भी विकलांग व्यक्ति विकलांग प्रमाणपत्र के लिये योग्य है।
प्रक्रिया
आवेदन करने के लिये आवेदक को नियत फार्म को पूरा कर तथा बताये गये सारे दस्तावेज के साथ आवेदन करना होता है। इसके बाद आवेदक की जांच स्वास्थ्य निगम द्वारा की जाती है तथा उसकी विकलांगता तथा विकलांगता का प्रतिशत पूर्व निर्धारित नियमों के आधार पर तय किया जाता है।
आवश्यक दस्तावेज
2. वोटर आईडी0 कार्ड 3. शपथ पत्र (यदि आवेदक किसी बीमा के लिये दावा करता है। 4. चार फोटोग्राफ 5. जाति प्रमाणपत्र (शुल्क रियायत के लिये) नियत शुल्क 1. रू0 32 सामान्य श्रेणी के लिये 2. रू0 8 अनुसूचित जाति के लिये |
निवास स्थान प्रमाणपत्र प्राप्त करें |
निवास स्थान प्रमाणपत्र क्या है इसकी आवश्यकता क्यों है?
निवास स्थान/निवास प्रमाणपत्र साधारणत: यह साबित करने के लिए जारी किया जाता है कि प्रमाणपत्र धारण करने वाला व्यक्ति उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का निवासी है जिसके द्वारा प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है। इस प्रमाणपत्र की आवश्यकता निवास के प्रमाणप के रूप में होती है जिससे कि शैक्षिक संस्थानों और सरकारी सेवाओं में निवास स्थान/निवास का कोटा लिए जा सकते हैं और नौकरी के मामले में भी जहां स्थानीय निवासियों को वारीयता दी जाती है।
निवास स्थान प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आपको क्या करने की आवश्यकता है ?
निर्धारित आवेदन पत्र या तो ऑनलाइन उपलब्घ होते हैं या स्थानीय प्राधिकारियों से अर्थात सब डिविजनल मजिस्ट्रेट/तहसीलदार का कार्यालय/राजस्व विभाग/जिला कलेक्टर का कार्यालय या अन्य प्राधिकारी जैसा कि आपके निवास के राज्य/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा विनिर्दिष्ट है। आपको निर्धारित न्यूनतम अवधि के लिए लगातार राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में निवास करने का प्रमाण देने की आवश्यकता होगी या राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में भूमि रखने का यह संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के नियमों पर निर्भर करता है। अपनी पहचान प्रमाणित करने के लिए दस्तावेज, आवश्यकता प्राधिकारी के अधिकारी द्वारा फॉर्म को अनुप्रमाणीकरण, स्कूल प्रमाणपत्र और तहसील की पूछताछ रिपोर्ट की भी आवश्यकता हो सकती है।
महिलाएं, जो राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में मूलरूप से रहती हैं परन्तु ऐसे पुरूषों से विवाह करती हैं जो स्थायी रूप से राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में निवास करते हैं, जो राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के निवास स्थान प्रमाणपत्र के पात्र है, वे निवास स्थान प्रमाण पत्र के लिए पात्र है।
टिप्पणी:
निवास स्थान प्रमाणपत्र केवल एक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में बनाए जा सकते हैं। एक से अधिक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र से निवासस्थान प्रमाणपत्र प्राप्त करना एक अपराध हैं।
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